प्रिय रीडर्स आज के लेख में हम जानेंगे "जंतुओं के पोषण (Animal Nutrition) एवं पोषण के प्रकारों (Modes of Nutrition)" के बारे में।


जन्तु पोषण क्या है?

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जन्तु पोषण एवं प्रकार


इस जगत में पाए जाने वाले सभी जीव अपना जीवन यापन, शरीर को संरक्षित एवं सुरक्षित तथा वातावरण में अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए पोषकों के रूप में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, खनिज लवण तथा जल प्राप्त करते हैं। जिसकी उचित मात्रा एवं अवस्था जंतु पोषण द्वारा प्राप्त होती है।

इस प्रकार जीव द्वारा शरीर की वृद्धि ( Growth), प्रतिपूर्ति (Repairing), विकास (Development) एवं ऊर्जा के लिए पोषकों का उपयोग करने को पोषण कहते हैं ।


आहार किसे कहते हैं?

पोषक रासायनिक यौगिक के समूह होते हैं जिन्हें हम प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन एवं खनिज लवण के रूप में जानते हैं और यह हमें भोजन एवं खाद्य पदार्थों से प्राप्त होते है। तथा इनके मिश्रण को हम आहार कहते हैं। 


पोषण के प्रकार ( Modes of Nutrition)

जीवो में पोषण दो प्रकार के होते हैं-

(A) स्वपोषी पोषण (Autotrophic Nutrition)

ऐसा पोषण जिसमें जीव कार्बनिक पदार्थों का संश्लेषण स्वयं करते हैं स्वपोषी पोषण कहलाता है। और ऐसा जीव स्वपोषी जीव होता है जो संश्लेषण के लिए कच्चे माल के रूप में वातावरण से अकार्बनिक यौगिकों को  अवशोषित करते हैं।

संश्लेषण की क्रिया के आधार पर स्वपोषी जीव दो प्रकार के होते हैं-

(1) प्रकाशपोषी जीव (Phototrophs)

ऐसे जीव प्रकाश संश्लेषण का उपयोग कर सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं इनमें प्रकाश संश्लेषण के लिए क्लोरोफिल पाया जाता है। जैसे- हरे पौधे (Green Plants), यूग्लीना ( Euglena), वालवाक्स (Volvox) आदि।

(2) रसायनपोषी जीव (Chemotrophs)

ऐसे जीव जो अकार्बनिक यौगिक का ऑक्सीकरण कर ऊर्जा प्राप्त करते हैं तथा रासायनिक संश्लेषण कर आवश्यक कार्बन प्राप्त करते हैं रसायनपोषी जीव कहलाते हैं। जैसे- गंधक जीवाणु (Sulphur bacteria), लौह जीवाणु (Iron bacteria), फेरोबेसिलस (Ferrobacillus) एवं लेप्टोथ्रिक्स (Leptothrix).

(B) परपोषी पोषण (Heterotrophic Nutrition)

ऐसे सभी जीव जो अपने पोषण के लिए पहले से संश्लेषित कार्बनिक पदार्थों पर निर्भर होते हैं, परपोषी जीव कहलाते हैं तथा उनका यह पोषण परपोषी पोषण (Heterotrophic Nutrition) कहलाता है। 

परपोषी पोषण निम्नलिखित चार भागों में विभाजित किया जाता है-

(1) प्राणिसमभोजी पोषण (Holozoic Nutrition)

इस प्रकार के पोषण में जीव किसी जंतु या पादप को आंशिक या पूर्ण रूप से अपना पोषक बनाते हैं। 

प्राणिसमभोजी जीव सात प्रकार के होते हैं-

(i) शाकाहारी (Harbivores) - ऐसे जीव जो घास फूंस एवं अन्य वनस्पतियों को अपना भोजन बनाते हैं, शाकाहारी जीव कहलाते हैं। जैसे- घोड़े, मवेशी, बकरी आदि (ये चरने वाले शाकाहारी जीव हैं) तथा चूहे, खरगोश (ये कुतरने वाले शाकाहारी जीव हैं)

(ii) मांसाहारी (Carnivores) - वे जीव जो अन्य जीव या जंतुओं के मांस को अपने भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं, मांसाहारी कहलाते हैं। जैसे- कुत्ता, बिल्ली, शेर, बाघ।

(iii) सर्वाहारी (Omivores) - वे जीव जो पादप एवं जंतु दोनों को आहार में ग्रहण करते हैं, सर्वाहारी कहलाते हैं। जैसे- काकरोच, चूहा, मनुष्य आदि। 

(iv) कीटहारी (Insectivores) - ये जीव कीटों का भक्षण करते हैं। जैसे- छिपकली।

(v) फलाहारी (Frugivores) - यह फल खाते हैं। जैसे- पक्षी, बंदर।

(vi) रक्तहारी (Sanguivores) - ये अन्य जंतुओं का रक्त अपने आहार में लेते हैं। जैसे- जोंक, चमगादड़।

(vii) अपरदहारी (Detritivores) - यह जी मृदा में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों का भक्षण करते हैं। जैसे- केंचुए आदि।

(2) मृतजीवी पोषण (Saprozoic Nutrition)

ऐसे जीव जो मृत एवं सड़े गले कार्बनिक पदार्थों पर आश्रित होते हैं, मृतजीवी कहलाते हैं। जैसे कवक आदि।

(3) परजीवी पोषण (Parasitic Nutrition)

ऐसे जीव जो दूसरे जीव के शरीर पर या शरीर के अंदर रहकर पोषण ग्रहण करते हैं, परजीवी कहलाते हैं । जैसे- मच्छर, जोंक, जू, लिवर फ्लूक।

(4) सहजीवी पोषण (Symbiotic Nutrition)

ऐसा पोषण जिसमें दो जीवो के मध्य संबंध हो तथा दोनों एक दूसरे को नुकसान पहुंचाए बिना पोषण करें सहजीवी पोषण कहलाता है।

तो प्रिय रीडर्स आज हमने जाना जंतु पोषण क्या है तथा जंतु पोषण के प्रकार क्या हैं।

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